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द्वादश वर्षीय स्वाध्याय पाठ्यक्रम


प्रौढ़ वर्ग के रुचिशील श्रावकों की माँग पर संस्थान संस्थापक/संप्रेरक पूज्य मुनिपुंगव श्री की प्रेरणा से उन श्रावक-श्राविकाओं पर करुणादृष्टि रखते हुए इस 12 वर्षीय पाठ्यक्रम का निर्माण किया है, जो आयु सीमा पार या अपने पारिवारिक दायित्वों के कारण संस्थान में प्रवेश लेने में अक्षम हैं परन्तु जैनागम के तत्त्वों को समझने की तीव्र लगन है। इस पाठ्यक्रम योजना के प्रथम वर्ष में देश एवं विदेशों में प्रवासरत 5 हजार से अधिक स्वाध्यायार्थी नर- नारियों के पंजीयन सिद्ध होता है कि यह पाठ्यक्रम संस्थान की सफलतम योजना है। पाठ्यक्रम में निर्धारित ग्रन्थों की कक्षाओं की रिकार्डिंग "यू ट्यूब" एवं WhatsApp पर उपलब्ध हैं तथा जिज्ञासु पाठकों को फोन पर मार्गदर्शन के अतिरिक्त, 20 से अधिक परीक्षार्थियों वाले केन्द्र की मांग पर कक्षाओं हेतु विद्धान् भी उपलब्ध कराये जाते हैं। सत्रांत में परीक्षोपरान्त प्रमाणपत्र एवं विशिष्ट स्थान प्राप्त परीक्षार्थियों को स्वर्णपदकादि से सम्मानित किया जाता है। साधनहीन स्वाध्यायशील परीक्षार्थियों के लिये निःशुल्क सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं। वर्ष 2021 में प्रथम वर्षीय से चतुर्थ वर्षीय पाठ्यक्रम की परीक्षा आयोजित होगी।


आमगमनिष्ठ चर्याधारी निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज की दूरदृष्टि समन्वित योजना-आगमानुसार आचरण करने वाले धर्मानुरागी श्रावकों का निर्माण करना तथा युवा पीढ़ी को धर्माचरण से जोड़ने के लिए नियमित स्वाध्याय की ललक विकसित करने के लिए, पृज्यश्री के आशीर्वाद से किशनगढ़ चातुर्मास (2017) के मध्य “'द्वादशवर्षीय श्रमण संस्कृति स्वाध्याय पाठ्यक्रम '' का शुभारम्भ किया गया।
✍️गृहीत मिथ्यात्व से मुक्त आगमनिष्ठ स्वाध्यायी समाज का निर्माण कर आगममानुसार धर्माराधना करते हुए आत्मकल्याण का पथ प्रशस्त करना ।
✍️ यह पत्राचार पाठ्यक्रम नहीं है, आप इस पाठ्यक्रम के माध्यम से 12 वर्षों तक जैनागम के मूलभूत ग्रन्थों का अध्ययन कर सकेंगे । आपको घर बैठे प्राइवेट / स्वयंपाठी विद्यार्थी की तरह ग्रन्थों का स्वाध्याय करके अपने स्थानीय केन्द्र पर जाकर परीक्षा देने की व्यवस्था है। परीक्षा उपरान्त प्रमाण पत्र, उपाधि (डिग्री) एवं विशिष्ट योग्यता-प्राप्त स्वाध्यायार्थियों को आकर्षक पुरस्कार प्रदान किए जायेंगे।
✍️ पाठ्यक्रम की उपाधियाँ ( डिग्री ) 1. सिद्धान्त प्रभाकर (त्रिवर्षीय) | 2. सिद्धान्त विशारद (त्रिवर्षीय) | 3. सिद्धान्त शास्त्री (त्रिवर्षीय) | 4. सिद्धान्ताचार्य (त्रिवर्षीय)
✍️ पात्रता - 18 वर्ष से ऊपर सभी आयु के स्वाध्यायार्थी भाग ले सकते हैं ।


द्वादश वर्षीय स्वाध्याय पाठ्यक्रम

✍️ प्रतिवर्ष सत्र जून से प्रारम्भ होगा एवं परीक्षा परिणाम मई तक जारी किया जायेगा ।
✍️ वर्ष में एक बार परीक्षा केन्द्रों पर परीक्षा सम्पन्न होती हैं, जो व्यक्ति किन्हीं कारणवश उस दिनांक को परीक्षा नहीं दे पाता है उसे 15 दिन के अन्दर द्वितीय अवसर परीक्षा के लिए उपलब्ध करवाया जाता है।
✍️ परीक्षा केन्द्र - जिस गाँव / नगर में कम से कम 30 या इससे अधिक परीक्षार्थी होंगे, वहाँ परीक्षा केन्द्र की स्थापना की जा सकती है।
✍️ स्वयं स्वाध्याय करने पर ग्रन्थों का मर्म समझने में कठिनाईयों का आना स्वाभाविक है। अत: प्रतिदिन SudhaSagaram App अथवा Zoom App के माध्यम से निर्धारित समय पर ऑनलाईन कक्षाओं में स्वाध्याय कर सकते हैं। इसके अलावा Youtube पर SudhaSagaram एवं जिनवाणी सुधासागर के चैनल के माध्यम से भी आप अपनी सुविधानुसार किसी भी समय स्वाध्याय कर सकते हैं।
✍️ आप व्यक्तिगत (ऑनलाइन )अथवा सामूहिक रूप (ऑफलाइन) से भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं ।
✍️ केन्द्र के व्हाट्सप ग्रुप से जुड़ने के लिए 9785511102 पर अपने आवंटित केन्द्र का नाम दिए गए नंबर पर व्हाट्सप कर दें। (सिर्फ व्हाट्सप्प पर ही भेजने पर आपको ग्रुप से जोड़ा जायेगा)
✍️ ऑनलाईन कक्षाओं से सम्बन्धित सम्पूर्ण जानकारी हेतु अंकित जैन शास्त्री (7987353830) से सम्पर्क करें।
✍️ आवेदन शुल्क--रजिस्ट्रेशन शुल्क 200/-(एक बार देय), परीक्षा शुल्क 350/- (प्रतिवर्ष)। आवेदन शुल्क के अलावा पुस्तकों का शुल्क पृथक्‌ देय है।


संपर्क सूत्र : 7987353830

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